Saturday, February 22, 2020

प्यार तोह अब भी है

सब बोल गए, पर यह नहीं बोला
कि प्यार इश्क मोहब्बत की दुश्मनी
ज़माने से नहीं
वक़्त और ठिकाने से नहीं
बल्कि उन छोटी चीज़ों से है
जो इन महारथियों के बाद आतीं हैं
और पत्थर पर गिरती टप टप पानी की तरह
गहरे निशान छोड़ जाती हैं
अब पत्थर से दृढ़
भला क्या हो सकता है
अगर वह भी पिघल रहा
तोह प्यार बेचारा क्या करे
पर प्यार को हमने समझा क्या?
तुम्हारी तरह वह भी बड़ा हो जाता है
कुछ और कहता है
कुछ और चाहता है
हां यह वाला प्यार आसान नहीं
पर प्यारा तोह अब भी है
भले रातें बातों में ना बीतें
और वह बातें बीत ही गई हों
अब भी और अब ही -
जब पाव डगमगाते है
तोह सहारा वही देता है
जब पानी सर की ओर बढ़ता है
किनारा वही देता है
एक वक़्त यह भी था कि एक दूसरे को देख
हम खुश हो जाया करते थे
पर अब भी वक़्त बुरा नहीं -
कि जब दिख जाता है वह
तोह आइना सा लगता है

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